क्यों जरूरी है श्राद्ध, इन बातों का रखें विशेष ख्याल jyotishacharya . Dr Umashankar mishr 9415 087711 पितृ पक्ष में पितरों का श्राद्ध और तर्पण किया जाता है। शास्त्रों में उल्लेख है कि जब तक पितरों का श्राद्ध या पिंडदान नहीं किया जाता, उनकी अतृप्त आत्मा मुक्ति नहीं पाती। पितर अपनी संतान के आगमन का हर साल इंतजार करते रहते हैं और यदि उनके प्रिय नहीं आते तो वे दुखी होकर भूखे ही लौट जाते हैं। कई बार कुपित होकर ये श्राप भी दे देते हैं। जब तक इनकी आत्मा अतृप्त रहती है तब तक परिवार में भी कोई न कोई विपत्ति आती रहती है।इसलिए श्राद्ध जरूरी है, पितृपक्ष के दौरान कई बातों का ध्यान भी रखना चाहिए। पितृपक्ष के दौरान हमसे कई चीजें छूट भी जाती हैं। इस कमी को पूरा करने के लिए कुछ मंत्र होते हैं जिनके जाप से श्राद्ध में हो रही कमी की पूर्ती हो जाती है। इन मंत्रों का जाप तीन बार किया जाता है जिससे पितर प्रसन्न होते हैं तथा आसुरी शक्तियां भाग जाती हैं। इन मंत्रों का जाप करें देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च। नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः।। अर्थ: देवताओं, पितरों, महायोगियों, स्वधा और स्वाहा को मेरा सर्वदा नमस्कार है। पूजन के समय इन मंत्रों का करें जाप ॐ सर्व पितृ देवताभ्यो नमः ॐ पितृ नारायणाय नमः ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः ये भी कर सकते हैं श्राद्ध श्राद्ध का जिक्र शास्त्रों में भी किया गया है। ब्रह्मवैवर्त पुराण और मनुस्मृति के मुताबिक पितरों को पिंडदान पुत्र, भतीजा, भांजा कर सकते हैं। अगर किसी को संतान नहीं हुई है तो उनके भाई, भतीजे, चाचा और ताऊ के परिवार में से कोई भी पुरुष सदस्य पिंडदान कर सकता है। सात्विक भोजन का ही लगाएं भोग श्राद्ध के दिन लहसुन, प्याज रहित सात्विक भोजन ही घर की रसोई में बनना चाहिए। जिसमें उड़द की दालए बडे, चावल, दूध, घी से बने पकवान, खीर, मौसमी सब्जी जैसे तोरई, लौकी, सीतफल, भिण्डी कच्चे केले की सब्जी ही भोजन में मान्य है। आलू, मूली, बैंगन, अरबी तथा जमीन के नीचे पैदा होने वाली सब्जियां पितरों को नहीं चढ़ती है। इन बातों का रखें खास ख्याल - श्राद्ध के दिन अपने पितरों के नाम से ज्यादा से ज्यादा गरीबों को दान करें। - श्राद्ध दोपहर के बाद ही किया जाना चाहिए, शास्त्रों में इसका जिक्र है कि जब सूर्य की छाया पैरों पर पड़ने लगे तो श्राद्ध का समय हो जाता है। - ब्राह्राण भोज के वक्त खाना दोनों हाथों से पकड़कर पराेसें, एक हाथ से खाने को पकड़ना अशुभ माना जाता है। - श्राद्ध के दिन घर में सात्विक भोजन ही बनना चाहिए। इस दिन लहसुन और प्याज का इस्तेमाल खाने में नहीं होना चाहिए। - श्राद्ध पूजन के बाद अपने पितरों का स्मरण करें। इन बातों का रखें खास ख्याल - श्राद्ध के दिन अपने पितरों के नाम से ज्यादा से ज्यादा गरीबों को दान करें। - श्राद्ध दोपहर के बाद ही किया जाना चाहिए, शास्त्रों में इसका जिक्र है कि जब सूर्य की छाया पैरों पर पड़ने लगे तो श्राद्ध का समय हो जाता है। - ब्राह्राण भोज के वक्त खाना दोनों हाथों से पकड़कर पराेसें, एक हाथ से खाने को पकड़ना अशुभ माना जाता है। - श्राद्ध के दिन घर में सात्विक भोजन ही बनना चाहिए। इस दिन लहसुन और प्याज का इस्तेमाल खाने में नहीं होना चाहिए। - श्राद्ध पूजन के बाद अपने पितरों का स्मरण करें। Call *Watsaap 9415087711 ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र आकांक्षा श्रीवास्तव