ज्योतिष: क्या आपकी कुंडली में हैं उच्च अधिकारी बनने के योग? Jyotishacharya . Dr Umashankar mishr-9415087711 हर व्यक्ति की ख्वाहिश होती है कि वह बड़े से बड़ा पद हासिल करे लेकिन कई बार सारी योग्यता के बाद भी वह उच्च अधिकारी नहीं बन पाता। यह व्यक्ति की कुंडली पर भी निर्धारित करता है। ग्रहों का मानव शरीर पर किसी न किसी रूप में प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति के जीवन में दुख, प्रसन्नता सब यही तय करते हैं। ये प्रभाव प्रतिकूल या अनुकूल हो सकते हैं। कुछ योग ग्रहों की विशेषता के आधार पर बनते हैं और कुछ राशियों की विशेषता के आधार पर। कुंडली में उच्च अधिकारी बनने के योग बनते हैं।बताते हैं कि यदि कुंडली में स्थिर लग्न हो और लग्न में शुक्र स्थित हो, तो मात्र इस योग से जातक उच्च पदाधिकारी बन सकता है। शुक्र की स्थिति जितनी अच्छी होगी, उसी के अनुसार उच्च पद प्राप्त होगा। इसी प्रकार केंद्र में बृहस्पति स्थित हो, तो यह योग भी जातक को उच्च पदाधिकारी बना देता है। बृहस्पति की स्थिति के अनुसार ही उच्च पद प्राप्त होता है। यदि कुंडली में द्विस्वभाव लग्न हो और लग्न के त्रिकोण में मंगल हो, तो यह योग भी जातक को उच्च पदाधिकारी बना देता है। इसी प्रकार यदि लग्न से दशम भाव में सूर्य स्थित हो तथा दशमेश लग्न से तीसरे भाव में स्थित हो, तो इस योग में उत्पन्न व्यक्ति भी उच्च पदाधिकारी होता है। तुला लग्न कुंडली में अष्टम भाव में बृहस्पति, नवम भाव में शनि तथा ग्यारहवें भाव में मंगल तथा बुध हो, तो इस योग वाला व्यक्ति भी उच्च पदाधिकारी होता है। धनु लग्न कुंडली में बृहस्पति बारहवें भाव में तथा शनि लाभ भाव में होने से भी जातक उच्च पदाधिकारी बन जाता है। कुंडली में मंगल अपनी उच्च राशि या स्वराशि का होकर दशम भाव में बैठा हो तथा उस पर लग्नेश की दृष्टि भी हो, तो जातक उच्च पदाधिकारी होता है। कुंडली में मंगल, सूर्य, बुध, बृहस्पति, शनि, दशम भाव तथा दशमेश- इन सबकी स्थिति जितनी अच्छी होगी, उसी के अनुसार जातक को उच्चाधिकार प्राप्त होता है।