"सुंदरकांड पाठ की विधि एवं विधान" ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94 1 508 7711/www.astroexpertsolutions.com सुंदरकांड पाठ किसी भी दिन,किसी भी समय और संगीतमय रूप मे किया जा सकता है, लेकिन फिर भी कुछ नियम पालना करनी होती है जो इस प्रकार है। 1. यदि आप अकेले हैं तो प्रातः कालीन बेला/ ब्रह्म मुहूर्त में 4:00 बजे अथवा 6:00 बजे पाठ करना उचित रहता है । 2. यदि आप ग्रुप के माध्यम से सुंदरकांड पाठ कर रहे हैं तो यह साँय 7:00 बजे के बाद करना उचित रहता है ताकि सभी लोग पाठ मे सम्मिलित हो सके । यह संगीतमय रूप मे भी किया जा सकता है । 3. सुंदरकांड पाठ मंगलवार, शनिवार, पूर्णिमा और अमावस्या (पूर्ण चंद्रमा और बिना चंद्रमा के दिवस मे) को प्रात: 5:00 बजे किया जा सकता है। 4. सुंदरकांड पुस्तक कभी भी पैरों के पास नहीं रखना चाहिए, यथासंभव हाथ में उठाकर ही पाठ करना चाहिए । 5. साफ एवं स्वच्छ जगह होना चाहिए और सुंदरकांड पाठ प्रारंभ पर भगवान हनुमान जी का आह्वान एवं समापन पर विदाई अवश्य होना चाहिए , सभी श्लोकों का अर्थ एवं भावार्थ को समझना चाहिए । 6. अनुशासित तरीके से पाठ होना चाहिए जिसमें शब्दों को सौम्यता के साथ उच्चारित करें, पूरी एकाग्रता होनी चाहिए, किसी भी तरह का विश्राम/ व्यवधान (मोबाइल फोन/बातचीत) नहीं होना चाहिए । 7. सुंदरकांड पाठ लगातार एक ही स्थान पर बैठकर करना उचित रहता है जिसमें किसी भी प्रकार का खान पीन एवं बातचीत करना भी वर्जित रहता है इन नियमों की पालना से सुंदरकांड पाठ का आध्यात्मिक लाभ बढता है । 8. सुंदरकांड पाठ के दौरान अन्य देवी देवताओं के भजन-कीर्तन वर्जित होना चाहिए केवल आव्हान भगवान श्री हनुमान जी का ही होना चाहिए । 9. यदि परिस्थितिवश अति आवश्यक कार्य से पाठ को बीच में छोड़ना पड़े तो एकाग्रचित्त होकर हनुमान चालीसा का पूर्ण पाठ करके ही अपना स्थान छोड़ना चाहिए । 🙏💐 ज्योतिषाचार्य राठौर उमाशंकर मिश्र सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड 2 गोमती नगर एवं वेदराज complex purana आरटीओ Chauraha लाटूश रोड लखनऊ 94 1508 7711 92357 22996