सूर्य ग्रह की अन्य ग्रहो से युति फल। Jyotishacharya. Dr Umashankar Mishra-9415087711 1 – सूर्य चन्द्रमा युति : ज्योतिष के नज़रिये से चन्द्रमा स्त्री ग्रह है और मन का कारक है, सूर्य को आत्मा का दर्जा प्राप्त है तो ऐसे में सूर्य और चंद्र की युति अगर शुभ भाव में हो तो यह काफी अच्छा फल देती है, जातक की कल्पना शक्ति जबरदस्त होती है वही उच्च पद पर सरकारी नौकरी करे और साहित्य की समझ रखने वाला होता है। 2 – सूर्य मंगल युति : सूर्य ऊर्जा का कारक है और मंगल साहस है, दोनों को पाप ग्रह का दर्जा प्राप्त है, मंगल ग्रहों के मंत्रिमंडल में सेनापति है और दोनों पाप ग्रह है तो ऐसे में इन दोनों ग्रहों की युति अच्छे फल देने वाली नहीं मानी गयी है, फलित में इन दोनों की युति को अंगारक योग बोला जाता है। सूर्य मंगल की युति हो तो जातक अत्यधिक क्रोधी हो जायेगा, जल्दबाजी करेगा और फालतू के झगडे मोल लेगा। 3 – सूर्य बुध युति : ज्योतिष में बुध को विवेक और तर्क का कारक माना गया है, बुध बलवान हो तो जातक विवेकशील और बुद्धिमान होगा, सूर्य और बुध युति को बुध आदित्य योग के नाम से जाना जाता है, इस योग की अगर बात करे तो एक चीज़ बहुत इम्पोर्टेन्ट है की बुध नपुंसक ग्रह है, वो जिसके साथ बैठ जाएगा उसके हिसाब से ही अपने कारक का फल करेगा। यहां सूर्य बुध के फल में वृद्धि करेगा तो जातक को सम्मान के साथ साथ उच्च पद भी प्राप्त होता है, केतु शनि के सहयोग से बड़ा ज्योतिषी भी बन जायेगा। 4 -सूर्य गुरु युति : फलित विचार में गुरु ज्ञानी है, बुद्ध किताब है लेकिन गुरु वेद है, शास्त्र है। ज्योतिष में ये माना गया है की जातक की कुंडली में बलवान सूर्य गुरु की युति हो जाये तो जातक परम् ज्ञानी हो, बहुत पढ़े और समाज का नाम रोशन करे. सूर्य आत्मा है और गुरु आचार्य तो ऐसा जातक धीर गंभीर होगा, राजा का सलाहकार होगा, जबरदस्त दूर दृष्टि होगी। 5- सूर्य शुक्र युति : फलित विचार में शुक्र भोग है, समस्त सुख सुविधाओं का विचार शुक्र से किया जाता है और सूर्य तेज है, ऐसे में सूर्य शुक्र की युति कार्य स्थल पर अच्छे परिणाम देती हैं, जातक को गीत संगीत नाटक आदि से धन प्राप्त होता है लेकिन अक्सर मेरे अनुभव में आया है की ये युति पत्नी और पर्सनल लाइफ के लिए ठीक नहीं है, सूर्य शुक्र के तेज को खत्म करता है, कई जगह मैंने देखा है की यह संतान सुख में भी कमी करता है। 6-सूर्य शनि युति : सूर्य और शनि की युति फलित की सबसे ख़राब युति में से एक है, सूर्य शनि पिता पुत्र है तो भी शत्रु है, ज्योतिष में इन 2 ग्रहों की युति को शापित दोष कहा जाता है और मनुष्य के जीवन में संघर्ष की स्तिथि पैदा हो जाती है, ऐसे व्यक्ति को बहुत अधिक मेहनत करनी पड़ती है, सूर्य हड्डियों का वही शनि नस का कारक है तो ऐसे में स्वास्थ्य हानि, शरीर कमजोर होता जायेगा, पिता से मतभेद वही उच्च अधिकारी से सहयोग नहीं मिलता। 7 – सूर्य राहु युति : फलित में सूर्य राहु की युति ग्रहण योग का निर्माण करती है, दरअसल राहु केतु सूर्य चंद्र को शत्रु मानते है और यही कारण है की इस युति से पितृ दोष का भी निर्माण होता है, जातक के पिता को स्वास्थ्य हानि होती है, समाज में अपमान होता है वही आत्म विश्वास की भी कमी हो जाती है, इस योग में कमजोर चंद्र आ जाए तो आत्महत्या भी जातक कर सकता है। 8 – सूर्य केतु युति : फलित में केतु पाप ग्रह है, यह रोग, आकस्मिक घटना, फोड़े फुंसी और अकाल मृत्य का भी कारक है, सूर्य केतु की युति जातक की कुंडली में हो तो जातक रोगी हो जाता है, यहां केतु सूर्य के फल में कमी करता है, अगर अशुभ भाव में युति हो रही हो तो जीवन पर्यन्त कार्यो में अवरोध होता है, सरकार से लाभ नहीं होता और थोड़ा शंकालु स्वभाव भी जातक का हो जाता है। _ *Watsaap 9415087711 ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र