~ आज का हिन्दू पंचांग ~ 🌞 ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र राष्ट्रीय प्रवक्ता विश्व हिंदू महासभा 92357 22996 ⛅ दिनांक 18 सितम्बर 2019 ⛅ दिन - बुधवार ⛅ विक्रम संवत - 2076 (गुजरात. 2075) ⛅ शक संवत -1941 ⛅ अयन - दक्षिणायन ⛅ ऋतु - शरद ⛅ मास - अश्विन (गुजरात एवं महाराष्ट्र अनुसार भाद्रपद) ⛅ पक्ष - कृष्ण ⛅ तिथि - चतुर्थी शाम 06:12 तक तत्पश्चात पंचमी ⛅ नक्षत्र - अश्विनी सुबह 06:45 तक तत्पश्चात भरणी ⛅ योग - व्याघात रात्रि 11:35 तक तत्पश्चात हर्षण ⛅ राहुकाल - दोपहर 12:21 से दोपहर 01:52 तक ⛅ सूर्योदय - 06:26 ⛅ सूर्यास्त - 18:40 ⛅ दिशाशूल - उत्तर दिशा में ⛅ व्रत पर्व विवरण - चतुर्थी का श्राद्ध, भरणी श्राद्ध 💥 विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है।(ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34) 🌷 पितरों का उद्धार 🌷 🙏🏻 भगवान शिव अपने पुत्र से कहते हैं: कार्तिकेय ! संसार में विशेषतः कलियुग में वे ही मनुष्य धन्य हैं, जो सदा पितरों के उद्धार के लिये श्रीहरि का सेवन करते हैं । बेटा ! बहुत से पिण्ड देने और गया में श्राद्ध आदि करने की क्या आवश्यकता है। वे मनुष्य तो हरिभजन के ही प्रभाव से पितरों का नरक से उद्धार कर देते हैं। यदि पितरों के उद्देश्य से दूध आदि के द्वारा भगवान विष्णु को स्नान कराया जाय तो वे पितर स्वर्ग में पहुँचकर कोटि कल्पों तक देवताओं के साथ निवास करते हैं। - पद्मपुराण 🌷 श्राद्धकर्म 🌷 🙏🏻 अगर श्राद्धकर्म करने के लिए आपके पास बिल्कुल भी धन नहीं है तो आपको उधार मांगकर धन लेना चाहिए और श्राद्ध करना चाहिए। अगर आपको कोई उधार नहीं दे रहा तो पितरों के उद्देश्य से पृथ्वी पर भक्ति विनम्र भाव से सात आठ तिलों से जलाञ्जलि ही दे दें। अगर यह भी संभव नहीं तो कहीं से चारा लाकर गौ को खिला दें। और अगर इतना भी संभव नहीं तो अपनी बगल दिखाते हुए सूर्य तथा दिक्पालों से कहें : 🌷 "न मेऽस्ति वित्तं न धनं न चान्यच्छ्राद्धोपयोग्यं स्वपितॄन्‌नतोऽस्मि । तृप्यन्तु भत्त्या पितरो मयैतौ कृतौ भुजौ वर्त्मनि मारुतस्य ।।" ➡ 'मेरे पास श्राद्धकर्म के योग्य न धन-संपति है और न कोई अन्य सामग्री। अत: मै अपने पितरों को प्रणाम करता हूँ। वे मेरी भक्ति से ही तृप्तिलाभ करे। मैंने अपनी दोनों भुजाएं आकाश में उठा रखी हैं । 💥 *ऐसा विवरण विष्णुपुराण तृतीयांश, अध्यायः 14 तथा वराहपुराण अध्याय 13 में मिलता है। 🌷 भरणी श्राद्ध 🌷 🙏🏻 18 सितम्बर 2019 भरणी नक्षत्र होने के कारण महाभरणी श्राद्ध है। भरणी नक्षत्र के देवता यमराज होने के कारण महाभरणी श्राद्ध का विशेष महत्व है। सामान्यतः आश्विन पितृपक्ष में चतुर्थी अथवा पंचमी को ही भरणी नक्षत्र आता है। कहा जाता है लोक - लोकान्तर की यात्रा जन्म, मृ्त्यु व पुन: जन्म उत्पत्ति का कारकत्व भरणी नक्षत्र के पास है अतः भरणी नक्षत्र के दिन श्राद्ध करने से पितरों को सद्गति मिलती है। महाभरणी श्राद्ध में कहीं भी श्राद्ध किया जाए, फल गयाश्राद्ध के बराबर मिलता है। यह श्राद्ध सभी कर सकते हैं। 👉🏻 भरणी नक्षत्र में श्राद्ध करने से श्राद्धकर्ता को उत्तम आयु प्राप्त होती है। 💥 *भरणी नक्षत्र में ब्राह्मण को काले तिल एवं गाय का दान करने से सद्गति प्राप्ति होती है व कष्ट कम होता है 🙏🏻🌷🌸🌼💐☘🌹🌻🌺🙏 ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र विभव खंड 2 गोमती नगर एवं वेद राज कंपलेक्स पुराना आरटीओ चौराहा latouche Road Lucknow 94150 87711