आइए जानें नाग-पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त व महत्व....!!!!! Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 श्रावण मास के शुक्लपक्ष पंचमी तिथि दिन Saturday ,25 जुलाई 2020 को उत्तराफाल्गुनी नक्षत्र और शिवयोग में नागपंचमी का पर्व मनाया जाएगा, लेकिन कोरोना महामारी के कारण इस बार नागपंचमी पर भक्त मंदिरों पर जाकर नागदेवता को दूध अर्पित नहीं कर पाएंगे प्रत्येक मास में आने वाली पंचमी के देव नागदेवता ही होते हैं, लेकिन श्रावण मास की पंचमी में नागदेवता की पूजा विशेष रूप से की जाती है. नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा के धार्मिक और सामाजिक व ज्योतिषीय कारण होते हैं. ज्योतिषाशास्त्र में कुंडली में योगों के साथ दोषों को देखा जाता है. कुंडली के दोषों में कालसर्प दोष को मुख्य माना जाता है. इस दोष से मुक्ति के लिए नागपंचमी पर नागदेवता की पूजा की जाती है. जिस व्यक्ति की कुंडली में राहु अच्छी स्थिति में नहीं है उसके निवारण के लिए नागपंचमी के दिन नागदेव की बामी (बांबी) की पूजा की जाती है. इस दौरान नागदेवता को सुंगध, दूध, धूप, चंदन अर्पित कर पूजा की जाती है नागपंचमी के शुभ मुहूर्त और संयोग पंचमी तिथि 24 जुलाई की Sayam 4 बजकर 10 मिनट से प्रारंभ होकर 25 जुलाई को दोपहर 0 1 बजकर 29 मिनट तक रहेगी नागपंचमी के दिन अमृत काल मुहूर्त सुबह 7 बजकर 38 मिनट सुबह 9 बजकर 7 मिनट तक रहेगा। इसके बाद अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से दोपहर 12 बजकर 55 मिनट तक,रवि योग दोपहर 2 बजकर 19 मिनट से अगले दिन 5 बजकर 39 मिनट तक रहेगा। वहीं इस दिन शिव योग भी बन रहा है जो 2 बजकर 26 मिनट से अगले दिन तक रहेगा। वहीं यदि विजय मुहूर्त की बात करें तो यह दोपहर 2 बजकर 44 मिनट से दोपहर 3 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। यदि आप इन सभी योगों में से किसी एक योग में भी भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करते हैं तो आप अपने जीवन की सभी परेशानियों से मुक्ति पा सकते हैं और अपने जीवन के सुखों को बढ़ा सकते हैं। इन योगो में भगवान शिव और नागदेवता की पूजा करने से उनका विशेष आर्शीवाद भी आपको प्राप्त होगा। नागपंचमी पर ग्रहों की स्थिति नागपंचमी के दिन चंद्रमा कन्या राशि में रहेगा। इस दिन चंद्रमा उतराफाल्गुनी नक्षत्र में गोचर करेगा। वहीं सूर्य कर्क राशि में, गुरु धनु राशि में वक्री, शनि मकर राशि में वक्री, मगंल मीन राशि में, शुक्र वृषभ राशि में, राहू और बुध मिथुन राशि में, केतू धनु राशि में रहेंगे। जिसकी वजह से नागपंचमी पर भगवान शिव और नागदेवता की पूजा का कई गुना लाभ प्राप्त हो सकता है और नागदेवता और भगवान शिव की कृपा प्राप्त हो सकती है। नाग पंचमी पूजा विधि: नागपंचमी पूजा के आठ नाग देव माने गए हैं- अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीर, कर्कट और शंख। पूजा करने के लिए नाग की फोटो या मिट्टी की सर्प मूर्ति को लकड़ी की चौकी के ऊपर रखकर हल्दी, रोली, चावल और फूल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। इसके बाद कच्चा दूध, घी, चीनी मिलाकर सर्प देवता को अर्पित करें। फिर उनकी आरती उतारें। इस दिन असली नाग की पूजा करने का भी प्रचलन है। पूजा के अंत में नाग पंचमी की कथा भी सुनी जाती है। नाग पंचमी के व्रत करने के लिए चतुर्थी के दिन एक बार भोजन करें तथा पंचमी के दिन उपवास करके शाम को व्रत खोलें।