कल इंदिरा एकादशी। पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए किया जाता है यह व्रत। Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 9415 087 711 पितृ पक्ष में पड़ने वाले एकादशी के व्रत को इंदिरा एकादशी कहा जाता है। यह व्रत बहुत ही खास माना जाता है। इंदिरा एकादशी का व्रत भाद्रपद मास के कृष्‍ण पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस बार यह तारीख 13 सितंबर यानी रविवार को पड़ रहा है। मान्‍यताओं के मुताबिक, पितरों की मोक्ष प्राप्ति के लिए यह व्रत किया जाता है। महाभारत में इस व्रत का जिक्र किया गया है। इस व्रत के महत्‍व के बारे में स्‍वयं कृष्‍ण भगवान ने धर्मराज युधिष्ठिर को बताया गया है। आइये आपको बताते हैं इस व्रत को रखने की विधि और अन्‍य खास बातें। पुराणों में इस बात के बारे में बताया गया है कि इस व्रत को करने से लोगों को यमलोक से मुक्ति मिलती है। इस व्रत के प्रभाव से लोगों को यमलोक की यातना का सामना नहीं करना पड़ता है। श्राद्ध पक्ष में आने वाली इस एकादशी का पुण्य अगर पितृगणों को दिया जाए तो नरक में गए पितृगण भी नरक से मुक्त होकर स्वर्ग चले जाते हैं। इस विषय में पुराण में एक रोचक कथा मिलती है। एकादशी की व्रत कथा। एक समय राजा इन्द्रसेन ने सपने में अपने पिता को नरक की यातना भोगते देखा। पिता ने कहा कि मुझे नरक से मुक्ति दिलाने का उपाय करो। राजा इंद्रसेन ने नारद मुनि के सुझाव पर भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की एकादशी का व्रत किया और इस व्रत से प्राप्त पुण्य को अपने पिता को दान कर दिया। इससे इंद्रसेन के पिता नरक से मुक्त होकर भगवान विष्णु के लोक बैकुंठ में चले गए। पद्म पुराण के अनुसार, जो भी भक्त व्रत रखना चाहते हैं तो वह एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान वगैरह से निवृत्त होने के बाद व्रत करने का संकल्‍प लें। पितरों को याद करते हुए भगवान विष्णु की तस्वीर पर गंगाजल, पुष्प, रोली और अक्षत के छीटें दें। धूप, घी से उनकी आरती उतारें और आरती गाएं। भगवान विष्णु को तुलसी बहुत प्रिय है इसलिए उनके भोग में तुलसी का प्रयोग जरूर करें। आरती के बाद विष्णु सहस्रनाम का पाठ करना चाहिए। फिर पितरों के नाम का श्राद्ध करें और ब्राह्मणों को दक्षिणा दें। भगवान विष्णु से पितरों के लिए माफी मांगें।