#मांगलिक_अवधारणा : Jyotish Aacharya Dr Uma Shankar Mishra 9415 087 711 92 357 22996 जिस भी वर या कन्या की लग्न कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12वें स्थान में मंगल होता है तो उस वर या कन्या को मांगलिक माना जाता है। इसी तरह चन्द्र से इन स्थानों में मंगल हो तो मांगलिक माना जाता है। लेकिन मंगल दोष के मिलान करते वक्त सावधानियां : 1. मंगल दोषयुक्त वर या कन्या का विवाह, मांगलिक दोष वाले कन्या या वर के साथ करने से वर-बधू का वैवाहिक जीवन सुखमय होता है। 2. यदि वर या कन्या की कुंडली में जिस स्थान पर मंगल होने से मांगलिक होता है उसी स्थान पर मंगल हो और कन्या या वर की कुंडली में उसी स्थानों में शनि, मंगल, सूर्य, राहु या कोई पाप ग्रह स्थित हो तो मांगलिक दोष भंग हो जाता है, अर्थात् एक की कुंडली में मंगल दोष हो और दूसरे की कुंडली में उन्हीं स्थानों में पाप ग्रह होने से मांगलिक प्रभाव नहीं होकर, विवाह करना शुभ होता है। 3. मेष राशि का मंगल लग्न में, वृश्चिक राशि का मंगल चौथे भाव में, मकर राशि का सातवें भाव में, कर्क राशि का मंगल आठवें भाव में हो और धनु राशि का मंगल 12वें भाव में हो तो मांगलिक दोष नहीं होता है। 4. यदि द्वितीय भाव में चन्द्रमा और शुक्र हों या मंगल को गुरु देखता हो, केन्द्र में राहु हो अथवा केन्द्र में राहु-मंगल का योग हो तो मंगल दोष नहीं होता है। 5. यदि बली गुरु या शुक्र लग्न में हों तो यदि मंगल 1, 4, 7, 8, 12 भावों में वक्री, नीचस्थ, अस्त अथवा शत्रु के साथ बैठा हो तो भी मांगलिक दोष नहीं होता है। 6. यदि 1, 4, 5, 7, 9भावों में शुभ ग्रह हों तथा 3, 6, 11 भावों में पाप ग्रह हों तो मांगलिक दोष नहीं होता है। 7. यदि मंगल मेष, वृश्चिक तथा मकर किसी भी राशि में कुंडली में कहीं पर भी बैठा हो तो भी मांगलिक दोष नहीं होता है। 8. यदि वर-कन्या की कुंडलियों में परस्पर राशि मैत्री हो और 27 गुण या इससे अधिक मिलते हैं तो भी मंगल दोष अविचारणीय होता है। वर-कन्या की कुण्डली में मंगलिक दोष एवं उसके परिहार का निर्णय अत्यन्त सावधानी पूर्वक करना चाहिए। केवल 1, 4, 7, 8, 12 भावों में मंगल को देखकर दाम्पत्य जीवन के सुखः-दुखः का निर्णय नहीं करना चाहिए...✍