जय श्री काशी विश्वनाथ👏👏👏 पति पत्नी में वैचारिक मतभेद – ज्योतिषीय कारण / समाधान Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra फ़्लैट सo A 3/ 7 0 2 पारिजात अपार्टमेंट , विक्रांत खण्ड शहीदपथ , अवधबस स्टेशन के समीप Mob - 9415 087 711 Mob- 923 5722 996 🙏🙏 विवाह को सभी संबंधों में सबसे ज्यादा मजबूत रिश्ता माना जाता है। लेकिन वर्तमान समय में वैचारिक मतभेद या फिर अलग-अलग जीवनशैली की वजह से पति-पत्नी को एक दूसरे को लेकर विभिन्न समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। ज्योतिष के माध्यम से पति पत्नी एक दूसरे का मन, प्रकृति ,स्वाभाव , व्यवहार और रूचि जान सकते हैं| पति पत्नी के बीच ग्रहों की मित्रता वैचारिक तालमेल और मतभेद के लिए जिम्मेदार है दोनों की कुंडली के ग्रह ही पति पत्नी के सम्बन्ध को अच्छा बनाते हैं.| पति के लिए अच्छा वैवाहिक जीवन का करक शुक्र से एवं पत्नी के लिए बृहस्पति होता है. पति पत्नी का आपसी सम्बन्ध और तालमेल शुक्र एवं बृहस्पति पर निर्भर करता है. जब शुक्र या बृहस्पति कमजोर हों तो वैवाहिक जीवन में काफी समस्याएं आती हैं. शनि , मंगल , सूर्य , राहु और केतु समस्यायें को बढ़ाने का कार्य करते है | जय श्री काशी विश्वनाथ👏👏👏 --- कुंडली में वैचारिक मतभेद की सम्भावना - ज्योतिषीय कारण --- 1. ज्योतिष में मन को चंद्रमा का कारक माना गया है , कुंडली में चंद्रग्रह नीचराशि में बैठा हो राहु या केतु से पीड़ित हो अथवा छठे आठवें या बारहवें भाव का मालिक होकर सप्तम भाव में स्थित हो तो जातक का दांपत्य जीवन कही न कही संदेह के घेरे में चलना शुरू हो जाता है | 2. सूर्य ग्रह , सप्तम भाव का मालिक सप्तम भाव का कारकत्व एवं सप्तम भाव में स्थित ग्रह भी दांपत्य जीवन के सुख - दुःख के लिए उत्तरदाई होते हैं | 3. यदि कुंडली में सूर्य ग्रहण राहु या केतु से पीड़ित है तो आपका आत्मविश्वास इतना कमजोर होगा कि आप रिश्तो को सही ढंग से चलाने में असमर्थ हो जाएंगे 4. यदि कुंडली में चंद्रमा और सूर्य कमजोर है तो मानसिक टकराव होता है , 5. यदि किसी एक की पत्रिका मंगली है और दूसरे की नहीं, तो ऐसी स्थिति में वैचारिक मतभेद की सम्भावना बनती है। मंगल के कारण पति और पत्नी एक दूसरे के रिश्तों का सम्मान नहीं करते | 6. वैचारिक मतभेद की सम्भावना यदि सप्तमेश 6ठे, 8वें या 12वें घर में स्थित हो। 7. शनि की साढ़ेसाती अथवा ढैया का प्रभाव हो 8. यदि सप्तमेश पंचम में स्थित हो तो भी यह कलह का एक कारण बनता है। 9. कुंडली में सप्तम भाव में क्रूर ग्रहों - शनि, मंगल, सूर्य, राहु या केतु की पूर्ण दृष्टि अथवा सप्तम भाव में स्थिति हो | 10. कुंडली में सप्तम भाव में षष्ठेश, अष्टमेश अथवा द्वादशेश स्थित हों। सप्तमेश अस्त हो, वक्री हो अथवा निर्बल। यदि सप्तमेश षष्ठेश, अष्टमेश तथा द्वादशेश से युत हो। 11. कुंडली में षष्ठेश, अष्टमेश या द्वादशेश ग्रहों की दशाएं चल रही हो अथवा कुंडली में छठे, आठवें या बारहवें भाव में स्थिेत ग्रहों की दशाएं चल रही हो *कुशल ज्योतिषियों द्वारा कुंडली के ग्रहों पर विचार कर ज्योतिषीय उपाय किये जाये तो आपके व्यवहार में अपने आप में एक सकारात्मक परिवर्तन ला सकते है एवं वैचारिक मतभेद से होने वाली कई परेशानियो से बचा जा सकता है ।