Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 94150 877 11*द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तोत्र*यह एक संस्कृत स्तोत्र है।इस स्तोत्र में भारत में स्थित भगवान शिव की १२ ज्योतिर्लिंगों का वर्णन किया गया है। शिव भक्तों द्वारा इस स्तोत्र का पाठ किया जाता है। सौराष्ट्रे सोमनाथम् च श्रीशैले मल्लिकार्जुनम्‌। उज्जयिन्यां महाकालम् ॐकारम् ममलेश्वरम्‌ ॥1॥ पूर्वोत्तरे प्रज्वालिकानिधाने वैद्यनाथम् च डाकिन्याम् भीमशङ्करम् । सेतुबन्धे तु रामेशम् नागेशम् दारुकावने ॥2॥ वारणस्याम् तु विश्वेशं त्र्यम्बकं गौतमी-तटे। हिमालये तु केदारं घृष्णेशम् च शिवालये ॥3॥ एतानि ज्योतिर्लिंगानि सायं प्रातः पठेन्नरः। सप्तजन्मकृतं पापं स्मरणेन विनश्यति ॥4॥ ॥ इति द्वादश ज्योतिर्लिंग स्तुति संपूर्णम्‌ ॥ सोमनाथ सौराष्ट्र में, काशी में विश्वेश | महाकाल उज्जैन में, शिवालय घुश्मेश ||   भीमशंकर डाकिनी, सेतुबंध रामेश | त्रयम्बकं गोमती तीर पर, दारुनकवन नागेश ||   मल्लिकार्जुन श्रीशैल पर, हिमगिरी पर केदार | चिता भूमि स्थान में वैद्यनाथ भवहार ||   ओंकार ममलेश्वर में रेवातट दोए नाम | द्वादशज्योतिर्लिंग को सदा करुंं प्रणाम ||   श्रद्धा सहित जो ध्यावही निशदिन में दो बार | सर्वपाप से मुक्त हो, पावे सिद्धि अपार ||   जो भी व्यक्ति प्रतिदिन इस द्वादश ज्योर्लिंग स्तोत्र का नियमित रुप से पाथ करता है तो वह भगवान शिव का आशीर्वाद पाता है। ज्योति का अर्थ “लौ” है और लिंग भगवान शिव का प्रतीक है। भारतवर्ष में भगवान शिव के मुख्य रुप से बारह ज्योर्लिंग स्थित है जो बारह अलग-अलग स्थानों पर स्थित हैं। यदि किसी व्यक्ति को इन बारहों ज्योतिर्लिंगों पर जाने का सौभाग्य प्राप्त होता है तो वह शिवधाम में जाने का सौभाग्य पाता है। मन, कर्म व वचन और श्रद्धा से जो विश्वास के साथ इस स्तोत्र को जपता है उसके जीवन की कठिनाईयांं स्वत: ही दूर हो जाती हैं।