नवग्रहों में गुरु ही है क्यों सर्वश्रेष्ठ? ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 9415087711 Astroexpertsolution.com Astrovinayakam.com बृहस्पति ग्रह का वार गुरुवार है। हिन्दू धर्म में नवग्रह में बृहस्पति ग्रह और वारों में गुरुवार को श्रेष्ठ माना है। आखिर बृहस्पति ग्रह को नवग्रों में श्रेष्ठ क्यों माना जाता है। आओ जानते हैं इस संबंध में खास जानकारी। 1. सौरमंडल में सूर्य के आकार के बाद बृहस्पति का ही नम्बर आता है। इस ग्रह का व्यास लगभग डेढ़ लाख किलोमीटर और सूर्य से इसकी दूरी लगभग 778000000 किलोमीटर मानी गई है। यह 13 कि.मी. प्रति सेकंड की रफ्तार से सूर्य के गिर्द 11 वर्ष में एक चक्कर लगा लेता है। यह अपनी धूरी पर 10 घंटे में ही घूम जाता है। लगभग 1300 धरतियों को इस पर रखा जा सकता है। 2. जिस तरह सूर्य उदय और अस्त होता है, उसी तरह बृहस्पति जब भी अस्त होता है तो 30 दिन बाद पुन: उदित होता है। उदित होने के बाद 128 दिनों तक सीधे अपने पथ पर चलता है। सही रास्ते पर अर्थात मार्गी होने के बाद यह पुन: 128 दिनों तक परिक्रमा करता रहता है एवं इसके पश्चात्य पुन: अस्त हो जाता है। गुरुत्व शक्ति पृथ्वी से 318 गुना ज्यादा। इसकी गुरुत्व शक्ति के कारण ही यह धरती को सौर तूफान, बड़ी उल्कापिंड और अन्य अंतरिक्ष की आपदा से यह ग्रह बचा लेता है। 3. धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु के सूर्य, मंगल, चंद्र मित्र ग्रह हैं, शुक्र और बुध शत्रु ग्रह और शनि और राहु सम ग्रह हैं। नवग्रहों में बृहस्पति को गुरु की उपाधि प्राप्त है। इनके शुत्र बुध, शुक्र और राहु है। कर्क में उच्च का और मकर में नीच का होता है गुरु। लाल किताब के अनुसार चंद्रमा का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति बढ़ जाती है। वहीं मंगल का साथ मिलने पर बृहस्पति की शक्ति दोगुना बढ़ जाती है। सूर्य ग्रह के साथ से बृहस्पति की मान-प्रतिष्ठा बढ़ती है। 4. मानव जीवन पर बृहस्पति का महत्वपूर्ण स्थान है। यह हर तरह की आपदा-विपदाओं से धरती और मानव की रक्षा करने वाला ग्रह है। बृहस्पति का साथ छोड़ना अर्थात आत्मा का शरीर छोड़ जाना है। गुरु ग्रह के कारण ही धरती का अस्तित्व बचा हुआ है। सूर्य, चंद्र, शुक्र, मंगल के बाद धरती पर इसका प्रभाव सबसे अधिक माना गया है। गुरु ग्रह के अस्त होने के साथ ही मांगलित कार्य भी बंद कर दिए जाते हैं क्योंकि गुरु से ही मंगल होता है। 5. गुरुवार की प्रकृति क्षिप्र है। यह दिन ब्रह्मा और बृहस्पति का दिन माना गया है। ज्योतिष के अनुसार गुरुवार या गुरु ग्रह का संबंध महर्षि बृहस्पति और भगवान दत्तात्रेय से है परंतु लाल किताब के अनुसार भगवान ब्रह्मा इसके देवता हैं और ब्राह्मण, दादा, परदादा को इससे संबंधित माना जाता है। पीपल, पीला रंग, सोना, हल्दी, चने की दाल, पीले फूल, केसर, गुरु, पिता, वृद्ध पुरोहित, विद्या और पूजा-पाठ यह सब बृहस्पति के प्रतीक माने गए हैं। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 9415087711 Astroexpertsolution.com Astrovinayakam.com