#तन्त्र सामग्री और #प्रभाव _*ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्र 94150 87711 Astroexpertsolution.com तन्त्र से सबंधित समस्याए, भूत प्रेत आदि को बहुत से लोग नही मानते है। ऐसे में कुछ लोग ऐसे भी होते है जो अपने आपको सही सिद्ध करने के लिए चौराहे पर रखी सामग्रियों को लात मार देते है, उसमे से भोग की वस्तुएं निकालकर खा जाते है। मित्रगण भक्ति हो या तन्त्र मार्ग दोनो ही भाव और विस्वास की बात होती है। एक भक्त पत्थर की मूर्ति में अपने इष्ट को देखता है और दूसरा व्यक्ति उसको मात्र पत्थर ही समझता है। इनको अपने अहंकार से नही परखना चाहिए। चौराहे पर रखी वस्तु यदि सही प्रकार से रखी है तो उन वस्तुयों का कार्य 5-10 मिनट में पूर्ण हो जाता है उसके बाद वो सामान्य वस्तुएं होती है। फिर चाहे उसे उठाकर फेक दो या उसमे से भोग की वस्तु ग्रहण करलो, किसी प्रकार की समस्या होने की संभावना नही होती है। जिस भोग की समय अवधि अधिक होती है वो स्मशान में रखा जाता है या स्मशान में दबा दिया जाता है ताकि समय अबधि तक वो सामग्री उस स्थान पर बनी रहे। लोग ज्ञान के अभाव में किसी भी चौराहे पर तंत्र से सबंधित सामग्रियां रख आते है लेकिन उसका कोई लाभ नही होता। सभी चौराहों पर नकारात्मक ऊर्जाओं का वास नही होता। जिस चौराहे के आस पास पीपल का वृक्ष, बरगद का वृक्ष, कोई काफी पुराना वृक्ष या ऐसा चौराहा जिसपर किसी की दुर्घटना में मृत्यु हो गयी हो उस चौराहे पर उतारे आदि सामग्री रखने से कार्य तीव्रता से पूर्ण होता है क्योकि इनपर ही नकारात्मक शक्तियो का वास होता है। जो आपने सामग्री रखी है उसे ग्रहण करने वाली किसी शक्ति का वास भी तो होना चाहिए। तन्त्र में बहुत सी बातें ध्यान रखने योग्य होती है लेकिन सभी को इनका ज्ञान ना होने के कारण कार्य पूर्ण ही नही होते है। *ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 94150 87711 Astroexpertsolution.com