श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव Jyotish Acharya Dr Umashankar Mishra 94150 877 11 यह महा मन्त्र है। इसमें अन्तर्निहित अर्थ के ज्ञान सहित इसका जाप करना चहिये। 1 श्रीकृष्ण हे प्रभु! आप सभी के मन को आकर्षित करने वाले हैं, अतः आप मेरा मन भी अपनी और आकर्षित कर अपनी भक्ति सेवा की दिशा में सुदृढ़ कीजिये। 2 गोविन्द गौओं तथा इन्द्रियों की रक्षा करने वाले भगवान! आप मेरी इन्द्रियों की रक्षा करें भगवान! आप मेरी इन्द्रियों को स्वयं में लीन करें। 3 हरे हे दुखहर्ता! मेरे दुखों का भी हरण करें। 4 मुरारी हे मुरे राक्षस के शत्रु! मुझमें बसे हुए काम -क्रोध रूपी राक्षसों का नाश कीजिये। 5 हे नाथ आप नाथ हैं और मैं अनाथ। मुझ अनाथ का भाव आप नाथ के साथ जुड़ा रहे। 6 नारायण मैं नर हूँ आप नारायण हैं। आपको पाप्त करने के लिए आपके आदर्श पर मैं तपस्या में रत रहूँ। 7 वासुदेव वसु का अर्थ है प्राण। मेरे प्राण की रक्षा करें। मैंने अपना मन आपके चरणों में अर्पित कर दिया है। ठाकुर बांके बिहारी लाल की जय !!