|#राहुकेतुकाविपरीतराजयोग|| Jyotish Aacharya Dr Umashankar Mishra 9415087711--9235722996 विपरीत राजयोग 6, 8, 12भाव के स्वामियों के इन्ही भावो में से किसी एक भाव में बैठने से बनता है विपरीत राजयोग पूरी तरह से तभी लागु होता है जब 6, 8, 12भाव के स्वामी 6, 8, 12भाव में पीड़ित होकर बैठे हो। राहु केतु इस स्थिति में बहुत शक्तिशाली राजयोग बनाते है क्योंकि एक तो यह नैसर्गिक रूप से पापी ग्रह है और जब 6, 8, 12भाव में ही किसी पाप ग्रह से पीड़ित होकर बैठते है तब प्रबल विपरीत राजयोग बनाते है। क्योंकि विपरीत राजयोग कारक ग्रह जितना ज्यादा पीड़ित होगा उतना ज्यादा शुभ फल देगा।इस स्थिति में जब कोई भी विपरीत राजयोग बनाने वाला ग्रह राहु केतु के साथ सम्बन्ध बनाता है तब वह दो गुणी शक्ति से शुभ फल देता है क्योंकि राहु केतु खुद ऐसे विपरीत राजयोग में विपरीत राजयोग कारक हो जायेंगे।। #उदाहरण_अनुसार:- मेष लग्न में बुध दो अशुभ भाव 3 और 6भाव का स्वामी होता है माना बुध 8वे भाव में बैठे साथ ही 8वे भाव में बुध के साथ केतु या राहु की युति हो तब यह डबल विपरीत राजयोग का फल मिलेगा और बहुत शुभ फल जो राजयोग से भी ज्यादा शुभ होगा। बुध का यहाँ किसी न किसी पाप ग्रह से पीड़ित होना जरूरी है वेसे बुध राहु केतु पाप ग्रहो से युक्त/द्रष्ट होने से पीड़ित हो जाता है लेकिन इस बुध पर शनि की तीसरी या दसवी या मंगल की चौथी या आठवीं दृष्टि हो तब तब सोने पर सुहागा जैसे शुभ फल मिलेंगे। ऐसे ही वृष लग्न में गुरु जो अष्टम भाव का स्वामी होता है यह यदि छठे या बारहवे भाव में राहु केतु से युति किया हो और मंगल की चौथी या आठवीं या शनि की तीसरी, दसवी दृष्टि से पीड़ित हो तब प्रबल विपरीत राजयोग बनेगा और दो गुना विपरीत राजयोग का फल मिलेगा क्योंकि राहु केतु की स्थिति वेसा ही फल उन ग्रहो के योग और स्थिति को लेकर देती है जैसे ग्रहो के साथ यह होते है।। विपरीत राजयोग में राहु केतु युति से आठवें भाव से बनने वाला विपरीत राजयोग बहुत ज्यादा आर्थिक और रोजगार(कार्य छेत्र) में सफलता देता है क्योंकि आठवे भाव से जो विपरीत राजयोग राहु केतु से बनेगा उसका सीधा सम्बन्ध धन भाव(दूसरे भाव) से होगा जैसे मेष लग्न में षष्ठेश बुध आठवे भाव में राहु के साथ होग तो केतु दूसरे भाव धन के घर में होगा जिस कारण विपरीत राजयोग का सिद्धास सम्बन्ध धन से भी बन जायेगा जो धन धन्य की खुद वृद्धि करेगा और जातक को कार्य छेत्र में खुद तरक्की देता जिससे जातक के विपरीत राजयोग के माध्यम से धन धन्य, समृद्धि, सौभाग्य की वृद्धि होती है जबकि छठे भाव और बारहवे भाव के विपरीत राजयोग में यह खासियत नही है लेकिन धन भाव का स्वामी बली हो शुभ भाव में हो तब इसी तरह के शुभ फल विपरीत राजयोग के मिलते है।। विपरीत राजयोग को राहु केतु का साथ मिलने से विपरीत राजयोग के दोगुने शुभ फल मिलते ऐसी स्थिति में राहु केतु कभी अशुभ फल नही देते।विपरीत राजयोग का फल ऐसी स्थिति में राहु केतु की महादशा अन्तर्दशा, या जिस ग्रह के साथ राहु केतु विपरीत राजयोग बना रहे है उनकी दशा अन्तर्दशा में मिलते है।महादशा यदि विपरीत राजयोग बनाने वाले ग्रह की हो या राहु केतु से बने विपरीत राजयोग में राहु केतु की महादशा आएगी तब राहु केतु से बने विपरीत राजयोग के दोगुने फल शुभ मिलेंगे।विपरीत राजयोग बनाने वाला ग्रह जितना ज्यादा कमजोर और पीड़ित होगा उतना ही शुभ फल देगा ग्रह की यही स्थिति विपरीत राजयोग देती है जो पीड़ित और कमजोर होने पर भी राजयोग के सामान और उससे भी ज्यादा शुभ फल दे सके विपरीत परिस्थितियों में ग्रह होने पर भी जो शुभ फल मिलता है उसी का मतलब होता है ग्रह पीड़ित और कमजोर होकर विपरीत स्थिति में है लेकिन फिर भी शुभ फल देता है।यही विपरीत राजयोग है।।