सुबह उठकर भूमि पर पैर रखने से पहले के कुछ स्मरण करें।। ज्योतिषाचार्य डॉ उमाशंकर मिश्रा 94150 87711 प्रातः शयन से उठकर उचित नियम पालन करे, शेष दिन भी उसी अनुसार बीतता है ऐसे में जरूरी है कि सुबह को उत्तम बनाया जाये.. शास्त्रों में सुबह के समय उठते ही कुछ विशेष कार्य करने की युक्ति दी गई है। मान्यता है कि अगर सुबह उठकर भूमि पर पैर रखने से पहले आप ये कार्य कर लें तो आपका पूरा दिन बन जाएगा और हर कार्य में सफलता मिलेगी ।इसे समझिये जिससे आप भी उसका अनुसरण कर जीवन में सफलता और सुख-समृद्धी पा सकें। प्राचीन शास्त्र भले ही आज से कई वर्षों पहले लिखे गए हों पर उनमें कही गई बातें आज भी हमारे लिए उतनी ही उपयोगी हैं.. जो कि हमे आदर्श जीवन यापन की शिक्षा देते हैं और व्यक्ति को हर कार्य करने की उचित विधि बतलाते हैं। ऐसे में अगर हम शास्त्रों में बताए उन नियमों और आदर्शों का पालन करें तो हमारा जीवन उत्तम और सफल हो सकता है। विशेषकर अगर हम अपने दिन की शुरूवात शास्त्रों के नियमानुसार करें तो हम हमेशा सुखी रह सकते हैं। तो चलिए जानते हैं सुबह के लिए शास्त्रों में क्या नियम और आदर्श बताए गए हैं। दरअसल शास्त्रों के अनुसार सुबह उठकर बिस्तर से भूमि पर अपने पैर रखने से पहले व्यक्ति को धरती को प्रणाम करने की बात कही गई । क्योकि शास्त्रों में भूमि को भी देवी मां माना गया है और ऐसे में जब हम धरती पर पैर रखते हैं तो उससे हमें दोष लगता है। इसलिए हमें इस दोष को दूर करने के लिए धरती को प्रणाम कर उनसे क्षमा मांगनी चाहिए और जब हम इस तरह भूमि का सम्मान करते हैं तो धरती मां की कृपा हमारे घर-परिवार पर बरसती है और हमारे जीवन की समस्याएं कम होती हैं। कराग्रे वसते लक्ष्मी:, करमध्ये सरस्वती। कर मूले तु गोविन्द:, प्रभाते करदर्शनम॥ भावार्थ हाथ के अग्र भाग में लक्ष्मी, मध्य में सरस्वती तथा मूल में गोविन्द (परमात्मा ) का वास होता है। प्रातः काल में (पुरुषार्थ के प्रतीक) हाथों का दर्शन करें॥१॥ समुद्रवसने देवि ! पर्वतस्तनमंड्ले। विष्णुपत्नि! नमस्तुभ्यं पाद्स्पर्श्म क्षमस्वे॥ भावार्थ समुद्ररूपी वस्त्रोवाली, पर्वतरूपी स्तनवाली और विष्णु भगवान की पत्नी हे पृथ्वी देवी ! तुम्हे नमस्कार करता हूँ ! तुम्हे मेरे पैरों का स्पर्श होता है इसलिए क्षमायाचना करता हूँ॥ २॥ ब्रह्मा मुरारीस्त्रिपुरांतकारी भानु: शाशी भूमिसुतो बुधश्च। गुरुश्च शुक्र: शनि-राहु-केतवः कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम॥ भावार्थ ब्रह्मा, मुरारि (विष्णु) और त्रिपुर-नाशक शिव (अर्थात तीनों देवता) तथा सूर्य, चन्द्रमा, भूमिपुत्र (मंगल), बुध, बृहस्पति, शुक्र्र, शनि, राहु और केतु ये नवग्रह, सभी मेरे प्रभात को शुभ एवं मंगलमय करें। सनत्कुमार: सनक: सन्दन: सनात्नोप्याsसुरिपिंलग्लौ च। सप्त स्वरा: सप्त रसातलनि कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम॥ भावार्थ (ब्रह्मा के मानसपुत्र बाल ऋषि) सनतकुमार, सनक, सनन्दन और सनातन तथा (सांख्य-दर्शन के प्रर्वतक कपिल मुनि के शिष्य) आसुरि एवं छन्दों का ज्ञान कराने वाले मुनि पिंगल मेरे इस प्रभात को मंगलमय करें। साथ ही (नाद-ब्रह्म के विवर्तरूप षड्ज, ऋषभ, गांधार, मध्यम, पंचम, धैवत और निषाद) ये सातों स्वर और (हमारी पृथ्वी से नीचे स्थित) सातों रसातल (अतल, वितल, सुतल, रसातल, तलातल, महातल, और पाताल) मेरे लिए सुप्रभात करें। सप्तार्णवा: सप्त कुलाचलाश्च सप्तर्षयो द्वीपवनानि सप्त कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम॥ भावार्थ सप्त समुद्र (अर्थात भूमण्डल के लवणाब्धि, इक्षुसागर, सुरार्णव, आज्यसागर, दधिसमुद्र, क्षीरसागर और स्वादुजल रूपी सातों सलिल-तत्व) सप्त पर्वत (महेन्द्र, मलय, सह्याद्रि, शुक्तिमान्, ऋक्षवान, विन्ध्य और पारियात्र), सप्त ऋषि (कश्यप, अत्रि, भारद्वाज, गौतम, जमदग्नि, वशिष्ठ, और विश्वामित्र), सातों द्वीप (जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौच, शाक, और पुष्कर), सातों वन (दण्डकारण्य, खण्डकारण्य, चम्पकारण्य, वेदारण्य, नैमिषारण्य, ब्रह्मारण्य और धर्मारण्य), भूलोक आदि सातों भूवन (भूः, भुवः, स्वः, महः, जनः, तपः, और सत्य) सभी मेरे प्रभात को मंगलमय करें। पृथ्वी सगंधा सरसास्तापथाप: स्पर्शी च वायु ज्वर्लनम च तेज: नभ: सशब्दम महता सहैव कुर्वन्तु सर्वे मम सुप्रभातम॥ भावार्थ अपने गुणरूपी गंध से युक्त पृथ्वी, रस से युक्त जल, स्पर्श से युक्त वायु, ज्वलनशील तेज, तथा शब्द रूपी गुण से युक्त आकाश महत् तत्व बुद्धि के साथ मेरे प्रभात को मंगलमय करें अर्थात पांचों बुद्धि-तत्व कल्याण हों। प्रातः स्मरणमेतद यो विदित्वाssदरत: पठेत। स सम्यग धर्मनिष्ठ: स्यात् संस्मृताsअखंड भारत:॥ भावार्थ इन श्लोको का प्रातः स्मरण भली प्रकार से ज्ञान करके आदरपूर्वक पढ़ना चाहिए। ठीक-ठीक धर्म में निष्ठा रखकर अखण्ड भारत का स्मरण करना चाहिए। आपको बता दें इस शास्त्रीय मान्यता के पीछे कुछ वैज्ञानिक तथ्य भी हैं.. जैसे कि उठते ही जमीन में पैर रखने से स्वास्थ्य पर विपरीत प्रभाव पड़ता है.. इसलिए जागने के साथ ही सीधे अपने पैर जमीन में नहीं रखना चाहिए.. इसका कारण ये है कि जब हम सुबह के समय उठते हैं तो हमारे शरीर का तापमान और कमरे के तापमान में बहुत अंतर होता है। ऐसे में अगर हम उठते ही अपने गर्म पैर ठंडी जमीन पर रख देंगे तो इससे शरीर को हानि हो सकती है और सर्दी-जुकाम जैसी समस्या हो सकती है। इसीलिए सुबह उठने के बाद तुरंत बिस्तर से उतरने की बजाए कुछ देर तक शयन स्थान पर ही बैठने का परामर्श दिया गया है जिससे कि आपके शरीर का तापमान सामान्य हो सके और फिर जमीन पर पैर रखें । इसके साथ ही शास्त्रों में पूरे दिन को बेहतर बनाने के लिए सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठने की सलाह दी गई। ब्रह्म मुहूर्त सूर्योदय से पहले का समय होता है और अगर आपके लिए ये संभव ना हो तो अधिक से अधिक सूर्योदय तक जरूर उठ जाना चाहिए। ऐसा करने से धर्म लाभ के साथ ही स्वास्थ्य लाभ मिलता है।धर्म लाभ की बात करें तो देवी-देवता इस काल में विचरण कर रहे होते हैं और इस समय सत्व गुणों की प्रधानता रहती है.. इसीलिए प्रमुख मंदिरों के द्वार भी ब्रह्म मुहूर्त में खोल जाते हैं और भगवान का श्रृंगार व पूजन भी ब्रह्म मुहूर्त में किए जाते है। इसलिए अगर आप इस उठकर स्नान ध्यान कर लेत हैं तो आप इस समय दिव्य वातावरण का लाभ उठा पाते हैं। वहीं अगर स्वास्थ्य लाभ की बात करें तो ब्रह्म मुहूर्त में उठने से सौंदर्य, बल, विद्या और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। विज्ञान भी कहता है कि ब्रह्म मुहुर्त में वायुमंडल प्रदूषणरहित होता है और इसी वक्त वायुमंडल में ऑक्सीजन की मात्रा सबसे अधिक होती है, जो कि फेफड़ों की शुद्धि के लिए महत्वपूर्ण होती है।साथ ही ऐसी शुद्ध वायु से मन, मस्तिष्क भी स्वस्थ रहता है। इसीलिए शास्त्रों में ब्रह्म मुहूर्त में बहने वाली वायु को अमृततुल्य माना गया है और कहा गया है कि ब्रह्म मुहूर्त में उठकर टहलने से शरीर में संजीवनी शक्ति का संचार होता है।